प्रेस विज्ञप्ति 13/10/2024
नवरात्र में मां के नौ स्वरूपों में है मानव कल्याण - साधक ओमप्रकाश
विजयादशमी पर आरजेएस कार्यक्रम में ब्रह्मकुमारी जानकी ने कहा मनोविकारों पर विजय पाने का संकल्प लें।
विजयदशमी पर आरजेएस वेबिनार में भारत की चारों दिशाओं से गूंज उठी सकारात्मकता की बयार
नई दिल्ली। रावण और महिषासुर का अंत गवाह है कि धर्म और अहंकार का अंत निश्चित है। वहीं दुर्गा पूजा पर हम नारियों के सम्मान का संकल्प लें। विजयदशमी पर 12 अक्टूबर 2024 को राम-जानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस ,नई दिल्ली के संस्थापक उदय कुमार मन्ना के संयोजन और संचालन में नकारात्मकता पर सकारात्मकता का विजयोत्सव विषय पर 270 वां वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भारत की चारों दिशाओं से लोग शामिल हुए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि ब्रह्माकुमारी सेंटर विपिन गार्डन, दिल्ली की प्रभारी बीके जानकी ने कहा कि रावण और महिषासुर मनोविकारों का प्रतीक है । काम, क्रोध, मद, लोभ ,अहंकार और नकारात्मकता जैसे मनोविकारों पर विजय पाना ही विजयदशमी का विजयोत्सव है।
जीवनसतोगुण प्रधान बनता है तो सोई हुई इंद्रियां जागृत होती हैं और आत्मा सतोगुण से परिपूर्ण हो जाती है ।जब इस तरह आत्मा देवगुणों से भर जाती है, तो दैवीय शक्तियां जागृत हो जाती हैं।
आरजेएस युवा टोली, पटना के प्रेरणास्रोत साधक ओमप्रकाश जी ने नवरात्र के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने नौ माताओं के स्वरूपों शैलपुत्री ,ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी ,कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की शक्तियों को जागृत करने का आह्वान किया।
उन्होंने मनुष्य के अंदर की नकारात्मकता को दूर करने के लिए कई तरह की साधना करने के उपाय बताए। उन्होंने कृष्ण और राधा के शाश्वत प्रेम के मर्म को समझाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के राजभाषा समिति के सदस्य डॉ हरि सिंह पाल ने कहा कि नवरात्र और दशहरा के अवसर पर हम संकल्प लें कि हमारे मन में जो महिषासुर और रावण है उसका हम दहन करें ।उन्होंने कहा कि वो अगर सकारात्मकता के क्षेत्र में नहीं आते तो परंपरागत कार्यों को कर रहे होते और विश्व स्तर पर कार्य करने का अवसर नहीं मिलता।
एक स्वामी जी की प्रेरणा से बचपन में ही उन्होंने गांव में दस विकारों को दूर करने के लिए रामलीला करवाना शुरू कर दिया ।उनका मानना था कि गांव में भी उत्थान का कार्य किया जा सकता है जो सकारात्मक है।
आरजेएस पीबीएच के कार्यक्रम में भारत की चारों दिशाओं से जुड़े लोगों ने अपने-अपने सकारात्मक विचारों से भी प्रतिभागियों को परिचित कराया। इनमें प्रमुख है सुरजीत सिंह दीदेवार,आर एस कुशवाहा, कुलदीप राय ,सुदीप साहू, डॉ मुन्नी कुमारी ,डॉ सुनील कुमार , डॉ पुष्पा सिंह ,डॉक्टर शशि तिवारी, सुमन कुमारी, आकांक्षा ,मयंक,वैभव भारद्वाज, सत्येंद्र त्यागी, दीनबंधु,सोनू कुमार और सुशील रंजन जो अलग-अलग प्रदेशों से जुड़े।
आकांक्षा
हेड क्रिएटिव टीम
आरजेएस पीबीएच
8368626368
Post a Comment